तलछट
तलछट (Sediment) ऐसी प्राकृतिक सामग्री होती है जो अपक्षय (weathering) और अपरदन (erosion) की प्रक्रिया से टूटकर छोटे अंशों या कणों में बन जाए और फिर जल, हिम या वायु के बहाव के साथ एक स्थान से बह जाए और किसी अन्य स्थान में जाकर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से जमा हो जाए। नदियाँ और हिमानियाँ अक्सर इस सामग्री-वहन का साधन बनती हैं, लेकिन मरुभूमि जैसे खुले क्षेत्रों में यही प्रभाव वायु का भी दिखता है।[1][2][3]चलछट के अनेकों वैज्ञानिको के मत अनुसार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडल एवं वायुमंडल में होने भू स्तर पर पेड़ पौधे मनुष्य एवं जानवरों के क्रियाकलापों के आधार पर अनेक सारे परीक्षण मौजूद है जो आज हमारे देश में अनेकों प्रकार से तलछट पाए जाते हैं। वर्तमान में अनेक प्रकार से प्राप्त पदार्थ का उपयोग तल छठ में किया जाता है जिसका झलक विश्व में मौजूद है आज हमारी विभिन्न देशों में अनेक स्तरो में उपयोग बढ़ चढ़कर किया जा रहा है जिससे देश की आर्थिक स्थिति एवं औद्योगिक विकास तेजी से हो रही है। चल छठ मुख्य रूप से यह वायुमंडल में ऋतु केपरिवर्तन के कारण होती है जैसे हमारेभारत भारतवर्षमें
राजस्थान मरुस्थल एवं दक्षिण भारत में काली मिट्टीे वा लाल मिट्टी का निर्माण हुआ है यह सब का एक उदाहरण है इसी प्रकार से चट्टानों का निर्माण एवं कृषि योग्य मिटी का निर्माण यह सभी तल छठ में वह प्रक्रिया के दौरान प्राप्त मिट्टी एवं उनसे प्राप्त लोह अयस्क मार्बल एवं अनेक प्रकार के धातु अधातु कार्बनिक अकार्बनिक गैस आक्रिया गैस में
[संपादित करें]- प्र हुए हैं जो भूगर्भ के अंदर एवं ऊपर में पाए जाते हैं जिसकी दैनिक जीवन में अपार उपयोग होती है(
तलछटीकरण (sedimentation)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Siever, Raymond (1988), Sand, New York: Scientific American Library, ISBN 978-0-7167-5021-5
- ↑ Nichols, Gary (1999), Sedimentology & Stratigraphy, Malden, MA: Wiley-Blackwell, ISBN 978-0-632-03578-6
- ↑ Reading, H. G. (1978), Sedimentary Environments: Processes, Facies and Stratigraphy, Cambridge, Massachusetts: Blackwell Science, ISBN 978-0-632-03627-1