शकरकन्द
शकरकंद (sweet potato ; वैज्ञानिक नाम : Ipomoea batatas - ईपोमोएआ बातातास्) कॉन्वॉल्वुलेसी (Convolvulaceae - कोन्वोल्वूलाकेऐ) कुल का एकवर्षी पौधा है, पर यह अनुकूल परिस्थिति में बहुवर्षी सा व्यवहार कर सकता है। यह एक सपुष्पक पौधा है। इसके रूपान्तरित जड़ की उत्पत्ति तने के पर्वसन्धियों से होती है जो जमीन के अन्दर प्रवेश कर फूल जाती है और उन फूले हुए जड़ों में काफी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट इकट्ठा हो जाता है| जड़ का रंग लाल अथवा भूरा होता है एवं यह अपने अन्दर भोजन संग्रह करती है।
यह उष्ण अमरीका का देशज है। अमरीका से फिलिपीन होते हुए, यह चीन, जापान, मलेशिया और भारत आया, जहाँ व्यापक रूप से तथा सभी अन्य उष्ण प्रदेशों में इसको खेती होती है। यह ऊर्जा उत्पादक आहार है। इसमें अनेक विटामिन रहते हैं विटामिन "ए' और "सी' की मात्रा सर्वाधिक है। इसमें आलू की अपेक्षा अधिक स्टार्च रहता है। यह उबालकर, या आग में पकाकर, खाया जाता है। कच्चा भी खाया जा सकता है। सूखे में यह खाद्यान्न का स्थान ले सकता है। इससे स्टार्च और ऐल्कोहॉल भी तैयार होता है। बिहार और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से इसकी खेती होती है। फलाहारियों का यह बहुमूल्य आहार है। इसका पौधा गरमी सहन कर सकता है, पर तुषार से शीघ्र मर जाता है।
शकरकंद सुचूर्ण तथा अच्छी जोती हुई भूमि में अच्छा उपजता है। इसके लिए मिट्टी बलुई से बलुई दुमट तथा कम पोषक तत्व वाली अच्छी होती है। भारी और बहुत समृद्ध मिट्टी में इसकी उपज कम और जड़ें निम्नगुणीय होती हैं। शकरकंद की उपज के लिए भूमि की अम्लता विशेष बाधक नहीं है। यह पीएच ५.० से ६.८ तक में पनप सकता है। इसकी उपज के लिए प्रति एकड़ लगभग ५० पाउंड नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। फ़ॉस्फ़ेट और पौटैश उर्वरक लाभप्रद होते हैं। पौधा बेल के रूप में उगता है। पौधा में कदाचित ही फूल और बीज लगते हैं।
सन २०१६ में शकरकन्द का उत्पादन | |
---|---|
देश | उत्पादन (दस लाख टन में) |
70.6
| |
3.9
| |
3.8
| |
2.3
| |
2.1
| |
1.9
| |
World |
105.2
|
उबाली गयी, बेक की गयी शकरकन्द (बिना नमक) पोषक मूल्य प्रति 100 ग्रा.(3.5 ओंस) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
उर्जा 90 किलो कैलोरी 380 kJ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
| ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
"Sweet potato". USDA Database. मूल से 22 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2019. प्रतिशत एक वयस्क हेतु अमेरिकी सिफारिशों के सापेक्ष हैं. स्रोत: USDA Nutrient database |
शकरकन्द का रोपण आषाढ़-सावन महीने में कलम द्वारा होता है। कलमें पिछले मौसम में बोई गई फसलों से प्राप्त की जाती हैं। ये लगभग १ फुट से १ फुट लंबी होती हैं। इनको २ से ३ फुट की दूरी पर मेड़ों पर रोपना चाहिए। हलकी बौछार के बाद रोपण करना अच्छा होता है। रोपण की साधारणतया तीन रीति प्रचलित हैं :
१. लगभग एक फुट लंबी कलमें, मेड़ों पर एक से डेढ़ फुट की दूरी पर, ५ से ६ इंच गहरी तथा ६०° का कोण बनाते हुए, दी जाती हैं।
२. कलमें मेड़ों के ऊपर एक कतार में लिटा दी जाती हैं। फिर दोनों सिरों पर लगभग ४ इंच खुला छोड़कर, बाकी हिस्सा मिट्टी से ढँक दिया जाता है।
३. कलमें उपर्युक्त रीति से ही रोपित की जाती हैं, किंतु वे मेड़ पर न होकर उसकी दोनों ढाल पर होती हैं। यह रीति अन्य दो रीतियों से अधिक उपज देती है।
बरसात में बेल को सींचा नहीं जाता, पर बरसात के बाद हल्की भूमि को तीन या चार बार सींचा जाता है। जब तक भूमि बेलों से पूरी ढँक नहीं जाती, तब तक हलकी जुताई या अन्य रीतियों से खेत को खरपतवार से साफ रखना चाहिए। साधारणतया दो बार मिट्टी चढ़ाई जाती है। बेलों की छँटाई निश्चित रूप से हानिकारक है। चार से पाँच मास में फसल तैयार हो जाती है, फिर भी कंद को बड़े हो जाने पर खोदा जाता है। परिपक्व हो जाने पर ही उपज अधिक होती है और शकरकंद अच्छे गुण का होता है। शकरकंद के परिपक्व हो जाने पर, उसका ऊपरी भाग हवा में जल्द सूख जाता है।
शकरकंद की तीन जातियाँ, पीली, श्वेत और लाल, ही साधारणतया उगाई जाती हैं। पीली जाति के गूदे में पानी का अंश कम रहता है और विटामिन "ए' की मात्रा अधिक रहती है। श्वेत जातियों में जल की मात्रा अधिक रहती है। लाल जातियाँ साधारणतया खुरखुरी होती है, पर भूमि के दृष्टिकोण से अन्य जातियों से अधिक शक्तिशाली या सहनशील होती हैं। कुछ नई लाल जातियाँ भी अनुसंधान द्वारा विकसित की गई हैं। एक अमरीकी जाति इंडियन ऐग्रिकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली, से प्राप्त हो सकती है। औसत उपज १२०-१५० मन प्रति एकड़ है।
शकरकंद के स्वास्थ्य लाभ
[संपादित करें]- महिलाओं को अपने बाल लंबे करने है तो उन्हें शकरकंद का सेवन करना चाहिए क्योकि शकरकंद में स्तिथ एंटी आक्सीडेंट और विटामिन सी जैसे तत्व बालो की जड़ो को मजबूत करता है।
- अगर आपकी त्वचा अधिक तैलीय है तो शकरकंद का उपयोग करना बहुत लाभदायक होता है। शकरकंद का उपयोग चेहरे पर इस्तेमाल करे।
- चेहरे पर उपयोग करने की विधि- शकरकंद को उबालकर उसे ठंडा कर ले फिर इसमें शहद मिलाकर पेस्ट बनाये और चेहरे पर लगा ले और कुछ देर बाद चेहरे को धो ले। यह करने से तैलीय त्वचा अच्छी हो जाती है।
- महिलाओं को सुंदर दिखना बहुत पसंद होता है अगर महिलाये अपने चेहरे को और आकर्षित बनाना चाहती है तो शकरकंद का उपयोग करे। शकरकंद में एंटी आक्सीडेंट तत्व होता है जो चेहरे के लिए बहुत फायदेमंद होता है और चेहरों को सूर्य की किरणों के दुष प्रभाव से भी बचाता है।
- बहुत महिलाये की त्वचा रूखी होती है उनके लिए शकरकंद रामबाण की तरह काम करता है। केवल तैलीय त्वचा नहीं रूखी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। रूखी त्वचा पर लगाने की विधि: शकरकंद को उबाल कर उसे ठंडा कर ले उसमे ओट्स व दही मिलाकर पेस्ट बनाले और चेहरे पर लगा ले थोड़ी देर बाद पानी से चेहरे को अच्छी तरह से धो ले। यह करने से रूखी त्वचा की समस्या दूर हो जाती है।
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Sweet potato production in 2016". Statistics Division (FAOSTAT). World Regions / Production Quantity. Food and Agriculture Organization of the United Nations. 2017. मूल से 11 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 April 2018.
- ↑ Edmond, Joseph Bailey; Ammerman, Gale Richard (November 1971). Sweet potatoes: Production, processing, marketing. Major Feed and Food Crops in Agriculture and Food Series. Westport, Connecticut: The Avi Publishing Company.
- ↑ Hartemink, Alfred E.; Poloma, S.; Maino, M.; Powell, K.S; Egenae, J.; O'Sullivan, J.N. (2000). "Yield decline of sweet potato in the humid lowlands of Papua New Guinea" (PDF). Agriculture, Ecosystems & Environment. 79 (2–3): 259–269. CiteSeerX 10.1.1.296.4316. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0167-8809. डीओआइ:10.1016/S0167-8809(00)00139-0. मूल (PDF) से 9 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जुलाई 2019.